• Women And Child Security Organisation


The Women and Child Security Organisation (WCSO) in Uttar Pradesh is a specialized police unit established on August 18, 2020, to prevent and control crimes against women and children while fostering a safe ecosystem for their security, dignity, and empowerment.


Core Mandate :

WCSO operates independently under an Additional Director General-ranked officer, with dedicated budget and units across all 75 districts, bridging police and civil society to build public trust on women and child issues.
It promotes women- and child-friendly policing through various initiatives like Mission Shakti Kendra and Mahila Help Desks and close supervision of crimes against women and children with the objective of ensuring time bound and quality disposal of investigations.
It is also the nodal Department for synergy building with all related stakeholders and sister Departments working on women and child safety.

Key Responsibilities :

a. Serves as nodal agency for programs including Investigation Tracking System for Sexual Offenses (ITSSO), Mission Shakti, Safe City Project, Mahila Help Desk, POCSO cases, Anti-Human Trafficking etc.
b. Monitors serious cases of crimes against women and children in real-time to ensure timely investigations
c. Supervises units such as 1090 Women Powerline to curb crimes in public spaces and enhance urban safety infrastructure.


ssa
Smt Padmaja Chauhan ADG WCSO

Our aim is to provide a 360 degree safe eco system to ensure safety and security of women and children

Brainstorm different sections and areas of the society, so that people coming from different areas are effective in exposing various kinds of questions related to women and children’s safety in Uttar Pradesh










महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन (WCSO)

प्रदेश में महिलाओं एवं बच्चों का उत्पीड़न रोकने, उनके विरूद्ध हो रहे अपराधों को नियंत्रित करने और उनको सहायता प्रदान करने तथा महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु पुलिस विभाग के अन्तर्गत महिलाओं से सम्बन्धित कार्यरत इकाइयों को समेकित करते हुए महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन (WCSO) की स्थापना की गयी है। इसके अन्तर्गत वीमेन पावर लाइन-1090 के साथ मिशन शक्ति अभियान, ITSSO पोर्टल, सेफ सिटी परियोजना, एण्टी ह्यूमन टैªफिकिंग यूनिट, जे0जे0 ऐक्ट व एस0जे0पी0यू0, POSH ऐक्ट, राष्ट्रीय एवं राज्य महिला आयोग, राष्ट्रीय एवं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग आदि की प्रदेश स्तरीय नोडल एजेन्सी के रूप में विभिन्न कार्य सम्पादित किया जा रहा है।



वीमेन पावर लाइन-1090

वीमेन पावर लाइन-1090, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चौबीस घण्टे निरन्तर चलने वाला कॉल सेण्टर है। इस काल सेण्टर पर प्रदेश के किसी भी कोने से महिलायें/लड़कियां किसी भी वक्त काल करके अपने साथ होने वाली छेड़खानी/उत्पीड़न इत्यादि घटनाओं की शिकायत कर सकती हैं। जहां पीड़िता की पहचान गोपनीय रखी जाती है। यहां तैनात पुलिस कर्मी अनुचित व्यवहार करने वाले पुरूष को फोन पर सम्पर्क करके परामर्श/चेतावनी देते हैं, जिससे अधिकांशतः व्यक्ति पीड़िता को परेशान करना छोड़ देते हैं। जो परामर्श/चेतावनी को अनसुना करते हैं, उनके विरूद्ध पुलिस अपने विधिक अधिकारों का प्रयोग करके समुचित कार्यवाही करती है। घरेलू हिंसा, पारिवारिक विवाद, आत्महत्या के विचार आदि से सम्बन्धित प्रकरणों में 1090 द्वारा प्रोफेशन काउन्सलर्स के माध्यम से ऑनलाइन फैमिली काउन्सलिंग करायी जाती है। किसी आकस्मिकता हेतु की गयी काल को यूपी-112 को तत्काल अन्तरित कर दिया जाता है, जहां से पीड़िता को तत्काल सहायता प्राप्त करायी जाती है। प्रत्येक पीड़िता से समस्या के पूर्ण समाधान तक फीडबैक लिया जाता है, वीमेन पावर लाइन-1090 समस्या के निस्तारण तक पीड़िता के सम्पर्क में रहती है। वीमेन पावर लाइन-1090 में इसके प्रारम्भ की तिथि दिनांक 15.11.2012 से दिनांक 30.11.2025 तक कुल- 37,15,213 शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिसमें से 99.5 प्रतिशत शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। शेष शिकायतें निस्तारण की प्रक्रिया में हैं।



ऑनलाइन फैमिली काउन्सलिंग-

वीमेन पावर लाइन-1090 में पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंसा, वैवाहिक विवाद, आत्महत्या के विचार आदि प्रकरणों से सम्बन्धित पंजीकृत शिकायतों में यदि शिकायतकर्ता/पीड़िता काउन्सलिंग द्वारा अपनी समस्या का समाधान कराना चाहती है तो उसकी समस्या का समाधान वीमेन पावर लाइन-1090 द्वारा ‘‘ऑनलाइन फैमिली काउन्सलिंग’’ सेवा के माध्यम से किया जाता है। कोविड संक्रमण काल के दौरान अभिनव प्रयोग के तौर पर इस सेवा का शुभारम्भ दिनांक 17.10.2020 को किया गया था, जो कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान अत्यन्त सफल रहा। इस सेवा के अन्तर्गत उपरोक्त उल्लिखित प्रकरणों में ऑनलाइन फैमिली काउन्सलिंग वीमेन पावर लाइन-1090 द्वारा यहां अधिष्ठापित कम्प्यूटर सिस्टम के माध्यम से शिकायतकर्ता/पीड़िता, विपक्षीगण तथा प्रोफेशनल काउन्सलर्स को एक साथ कान्फ्रेंस पर लेकर दोनों पक्षों की काउन्सलिंग कराकर समस्या का समाधान कराया जाता है। इस कार्य हेतु यूनीसेफ के सहयोग से सुप्रसिद्ध स्वैच्छिक मनोचिकित्सकों/काउन्सलर्स को प्रदेश भर से नामित किया गया है, जो निःशुल्क अपनी सेवाएं फोन पर प्रदान कर रहे हैं।





मिशन शक्ति अभियान

उत्तर प्रदेश में मिशन शक्ति अभियान महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण को केंद्र में रखकर विभिन्न सरकारी विभागों के अन्तर्विभागीय समन्वय से चलाया जा रहा एक व्यापक सामाजिक परिवर्तन कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2020 में हुई और समय-समय पर इसके विभिन्न चरण लागू किए गए। यह अभियान महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और कानूनी रूप से मजबूत बनाने के उद्देश्य से चलाया गया, ताकि वे न केवल सुरक्षित वातावरण में जीवन जी सकें, बल्कि आत्मनिर्भर होकर समाज में सम्मानपूर्वक अपनी पहचान स्थापित कर सकें। मिशन शक्ति के अंतर्गत सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए पिंक पेट्रोलिंग, एंटी-रोमियो स्क्वाड, पिंक बूथ, सुरक्षित यात्रा अभियान और सभी पुलिस थानों में मिशन शक्ति केन्द्र जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराईं, जिससे महिलाओं को त्वरित सहायता और अपराधों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके। इस अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक जागरूकता फैलाने का कार्य किया, जहां विभिन्न कार्यक्रमों, रैलियों और कार्यशालाओं के माध्यम से महिलाओं और युवतियों को अधिकारों, कानूनों, साइबर सुरक्षा, स्व-रक्षा और लैंगिक समानता के बारे में जानकारी दी गई। मिशन शक्ति ने न केवल सुरक्षा पर बल्कि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता पर भी विशेष ध्यान दिया। इसके तहत स्वयं-सहायता समूहों, कौशल विकास प्रशिक्षणों, छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन, बैंकिंग सहायता और उद्यमिता को बढ़ावा देकर लाखों महिलाओं को रोजगार और व्यवसाय से जोड़ा गया, इसके साथ ही अभियान ने बालिकाओं की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य पर जोर देते हुए समाज में उनके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने का काम किया। मिशन शक्ति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी रहा कि इसके द्वारा सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया। इसके परिणामस्वरूप न सिर्फ महिला अपराधों में कमी आई है बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अधिक सुरक्षित महसूस करने लगी हैं। मिशन शक्ति के हालिया चरणों में तकनीक और डिजिटल माध्यमों का उपयोग भी बढ़ाया गया है, जिसके तहत ऑनलाइन शिकायत प्रणाली, मोबाइल ऐप और डिजिटल सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम शामिल किए गए। इन प्रयासों ने अभियान को और अधिक प्रभावी बनाया है। आज मिशन शक्ति सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है जिसने लाखों महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है, चाहे वह सुरक्षा हो, सम्मान हो, या आत्मनिर्भरता।

वर्ष 2025 में संचालित मिशन शक्ति फेज- 5.0 अभियान में पुलिस द्वारा की जाने वाली मुख्य कार्यवाही-

✔ वाहनों में ब्लैक फिल्म एवं हूटर के विरूद्ध चेकिंग अभियान।

✔ स्टंटबाजी करने वालों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही।

✔ एण्टी रोमियो स्क्वॉड द्वारा स्कूल, कालेज, पार्क, आदि स्थलों पर मनचलों/पेशेवर शोहदों के विरूद्ध कार्यवाही का अभियान।

✔ जीआरपी द्वारा मिशन शक्ति अभियान से सम्बन्धित फोल्डर्स एवं पैम्फलेट्स का रेलवे प्लेटफार्म/स्टेशन एवं ट्रेनों में वितरण एवं प्रचार-प्रसार।

✔ ग्राम पंचायत व वार्ड में बीट पुलिस अधिकारी, आँगनबाड़ी कार्यकत्री, बीसी सखी, लेखपाल, एएनएम, आशा वर्कर, ग्राम पंचायत अधिकारी, रोजगार सेवक की उपस्थिति में जागरूकता कार्यक्रम।

✔ महिला बीट अधिकारियों द्वारा पुलिस तक न पहंुचने वाली परन्तु घरेलू ंिहंसा से पीड़ित महिलाओं का चिन्हीकरण करना ताकि सही समय पर उचित काउन्सलिंग/विधिक कार्यवाही/नियमित निगरानी अमल में लायी जा सके।

✔ महिला सुरक्षा की जागरूकता हेतु जनपद स्तर पर एक दौड़ (त्नद वित म्उचवूमतउमदज) कार्यक्रम का आयोजन।

✔ सर्किल स्तर पर परिवार परामर्श केन्द्रों की स्थापना।

✔ जनपद स्थित कारागार में अधिकारियों द्वारा जाकर निरूद्ध महिलाओं/बालिकाओं से वार्ता एवं सचिव क्स्ै। से समन्वय स्थापित कर निःशुल्क विधिक सहायता।

✔ महिला अपराधों से सम्बधित संवेदनशील स्थानों/हॉटस्पाट पर सीसीटीवी कैमरों का अधिष्ठापन तथा पूर्व में स्थापित सीसीटीवी कैमरों की क्रियाशीलता की चेकिंग।

✔ महिला सम्बन्धी अपराधों में जेल से रिहा अभियुक्तों का सत्यापन व निरोधात्मक कार्यवाही।

✔ नारी संरक्षण गृह व महिला आश्रय गृहों में अधिकारियों द्वारा जाकर उनमें आवासित महिलाओं से वार्ता एवं आवश्यक विधिक सहायता उपलब्ध कराना।

✔ परिवार न्यायालय से समन्वय स्थापित कर घरेलू विवाद एवं गुजारा भत्ता के प्रकरणों से सम्बन्धित मा0 न्यायालय द्वारा निर्गत सम्मनों की सूची प्राप्त कर निर्गत सम्मनों का शत प्रतिशत तामीला।



मिशन शक्ति अभियान के पूर्व के चरण (चरण-1,2,3, 4.1 एवं 4.2)


’’मिशन शक्ति’’ वर्ष 2020 की शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर प्रारम्भ किया गया था। जिसे चरणबद्ध तरीके से विभिन्न सरकारी विभागों के आपसी समन्वय से संचालित किया गया। वर्ष 2020 एवं 2021 में मिशन शक्ति के 03 चरण संचालित किये गये। मिशन शक्ति अभियान का चतुर्थ चरण वर्ष 2023 की शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिवस दिनांक 14.10.2023 से प्रारम्भ होकर अनवरत रूप से 01 वर्ष तक संचालित किया गया।


मिशन शक्ति फेज-4.2 का शुभारम्भ वर्ष 2024 में किया गया जिसमें पूर्व के अभियानों में किये गये कार्यों के साथ महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वावलम्बन, विकास, कल्याण इत्यादि से सम्बन्धित कई अन्य कार्यक्रमों का समावेश किया गया। इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से महिलाओं की सुरक्षा एवं अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु पुलिस विभाग द्वारा 90 दिवस में 09 विशिष्ट अभियानों यथा- आपरेशन गरूडः- (महिलाओं एवं बच्चियों से सम्बन्धित साइबर अपराध के पंजीकृत अभियोगों व प्रार्थना पत्रों का निस्तारण), आपरेशन शील्ड- (एसिड की अवैध विक्री एवं वितरण के विरूद्ध अभियान), आपरेशन डेस्ट्रायः- (अश्लील सीडी/डीवीडी/पुस्तकें/साहित्य/ सामाग्री आदि की चेंकिग एवं बरामदगी/जब्तीकरण), आपरेशन बचपनः- (बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति एवं बाल विवाह के विरुद्ध प्रदेश स्तरीय अभियान चलाकर बालिकाओं को अवमुक्त कराना), आपरेशन खोजः- (गुमशुदा बच्चों/बालिकाओं हेतु रेलवे स्टेशन/बस स्टेशन, बाल गृहों, छळव् द्वारा संचालित आश्रय गृहों आदि का भौतिक निरीक्षण करना एवं बरामद बच्चों को पुनर्वासित कराना), आपरेशन मजनूः- (महिला स्कूल/कालेजों के आस-पास तथा वल्नरेबल स्पॉट्स, अवांछनीय तत्वों व मनचलों के विरूद्ध अभियान), आपरेशन नशा मुक्तिः- (शराबी, नशेड़ी एवं अन्य प्रकार के मादक पदार्थों के सेवन करने वाले अभ्यस्त व्यक्तियों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करना एवं ऐसे संदिग्ध स्थलों (हॉट स्पॉट) का चिन्हीकरण करते हुए विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करना), आपरेशन रक्षाः- (अवैध स्पा सेंटरों, मसाज पार्लरों/होटलों में मानव तस्करी कर लाई गई महिलाओं/बालिकाओं को रेस्क्यू करना एवं उन्हें पुनर्वासित करते हुए विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करना), आपरेशन ईगलः- (महिला सम्बन्धी अपराधों में वांछित/प्रकाश में आये अभियुक्तों तथा जेल से बाहर आये अभियुक्तों के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्यवाही), का प्रदेश भर में संचालन किया गया।


इसके साथ ही महिला सम्बंधी अपराधों में मा0 न्यायालय द्वारा किये गये Conviction वन स्टाप सेन्टर (OSC) पर की गयी कार्यवाही, कमिश्नरेट लखनऊ/गाजियाबाद में स्थापित पिंक बूथ की कार्यवाही के अनुश्रवण के साथ मिशन शक्ति फेज-4.2 के अन्तर्गत उपलब्धियों का प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रसारित सूचना का अवलोकन, बीट पुलिस अधिकारी द्वारा ग्राम/वार्ड/न्याय पंचायत में भ्रमण, महिला सुरक्षा सम्बन्धी भ्रमण कार्यक्रमों, महिला केन्द्रित विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं हेल्प लाइन नम्बर की जानकारी प्रदान करना,Skill Development by NGO जिलाधिकारी/पुलिस आयुक्त/पुलिस अधीक्षक द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त महिलाओं को पुरस्कृत किया जाना, जिलाधिकारी द्वारा तहसील स्तर पर समाज के लिए विशिष्ट/बहादुरी का कार्य करने वाली महिलाओं को चिन्हित कर सम्मानित किया जाना, बीट पुलिस अधिकारी द्वारा स्कूल/कालेजों, वर्किंग वूमेन हास्टल, प्रमुख बाजारों, कस्बों, कार्पोरेट क्षेत्रों, प्रमुख चौराहों एवं रेलवे/बस स्टेशन/टैम्पो स्टैण्ड पर किये गये जन-जागरूकता व प्रचार प्रसार कार्यक्रमों का आयोजन, बीट पुलिस अधिकारी द्वारा ग्राम/वार्ड/न्याय पंचायत में भ्रमण कार्यक्रम में जन-जागरूकता व प्रचार प्रसार, सोशल मीडिया Influencer माध्यम से जनजागरूकता तथा महिला बीट आरक्षी द्वारा अपराध से पीड़ित महिला की काउन्सलिंग सम्बन्धी कार्यवाही की गयी है।


महिला हेल्प डेस्क

महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा और सुदृढ़ बनाये जाने हेतु प्रदेश के प्रत्येक पुलिस थाने में एक महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी है। जिसका शुभारम्भ दिनांक 24.10. 2020 को मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा किया गया था। इस व्यवस्था से थाने पर किसी भी प्रकार की शिकायत लेकर आने वाली महिलाएं अपनी शिकायत इन महिला हेल्प डेस्कों पर करती हैं। यह हेल्प डेस्क किसी भी आगन्तुक महिला का थाने पर प्रथम व एकमात्र सम्पर्क स्थल (Point of Contact) है, उन्हें इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता तथा उनकी समस्या को महिला पुलिस कर्मी द्वारा तत्काल संवेदनशीलता के साथ सुनकर उसका त्वरित व सम्यक निस्तारण कराया जाता है। महिला हेल्प डेस्क की स्थापना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए पुलिस थानों को वीमेन फ्रेन्डली, सहज, अनुकूल और पहुँच योग्य बनाना है। महिलाओं की थानों पर अपनी समस्याओं को लेकर पहुंच बढ़ी है। थानों पर आने में महिलाओं की हिचक कम हुई है तथा उनका विश्वास बढ़ा है। महिला संबंधी अपराधों में पुलिस का रिस्पांस टाइम कम हुआ है तथा निस्तारण में शीघ्रता आयी है।


मिशन शक्ति केन्द्र

प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन हेतु प्रदेश स्तर पर एक फ्लैगशिप कार्यक्रम ’’मिशन शक्ति’’ का चरणबद्ध शुभारम्भ वर्ष 2020 में किया गया था। जिसमें थानों पर आने वाली महिलाआंे को सहजता प्रदान करने एवं उनके विरूद्ध हो रहे उत्पीड़न/अपराधों पर समयबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित कराने हेतु प्रदेश के समस्त थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी थी, जिसके द्वारा महिला शिकायतकर्ताओं को अपनी सुनवाई हेतु एक स्वतंत्र एवं प्रभावी माध्यम प्रदान किया गया।

यद्यपि महिला शिकायतकर्ताओं के साथ होने वाले अपराधों पर तत्परता से संज्ञान लेने एवं विधिक कार्यवाही अमल में लाने की प्रक्रिया सम्पूर्ण प्रदेश में निर्बाध रूप से चल रही है तथापि महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अपराधों के सन्दर्भ में मात्र विधिक कार्यवाही तक सीमित रह जाना पर्याप्त नहीं है। इन अपराधों की सामाजिक परिस्थितियों, प्रभावों एवं गम्भीर मानसिक एवं आर्थिक दुष्परिणामों के फलस्वरूप सही मायने में किसी अपराध से पीड़ित महिला को राहत/अनुतोष प्राप्त कराने हेतु उसको लम्बे समय तक सुरक्षा, सहयोग एवं संरक्षण की आवश्यकता होती है।

इसी उद्देश्य के दृष्टिगत प्रदेश के समस्त थानों में महिला हेल्प डेस्क के उद्देश्य को विस्तारित करते हुए मिशन शक्ति केन्द्र स्थापित किये गये हैं, जहां किसी अपराध से पीड़ित महिला को थानों में प्रारम्भिक रिपोर्ट करने से लेकर अपेक्षित विधिक कार्यवाही की सफल समाप्ति, अभियुक्त को सजा दिलाने या पीड़िता के पूर्ण सामाजिक, मानसिक पुनर्वास तक पुलिस, मिशन शक्ति केन्द्र के माध्यम से पीड़िता के साथ जुड़ी रहेगी। यह सुनिश्चित करने हेतु महिला सम्बन्धी अपराधों की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग ैव्च्े बनायी गयी हैं, जो इस प्रकार के 360 डिग्री सपोर्ट हेतु स्पष्टता से प्रक्रियायें निर्धारित करती हैं। यह मिशन शक्ति केन्द्र प्रदेश के थानों पर क्रियाशील है, जिनमें 13,404 प्रशिक्षित पुलिस बल की नियुक्ति की गयी है।








महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अपराध का अनुश्रवण

CAW (CRIME AGAINST WOMEN) DASHBOARD


शासनादेश संख्या-205/6-पु0-15/2020-6(5)/2018, दिनांक 19.05.2022 के क्रम में प्रदेश के सभी कमिश्नरेट/जनपदों में महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की जनपदीय इकाईयों का गठन किया गया है। महिला एवं बाल अपराधों से सम्बन्धित अभियोगों के समयबद्ध व गुणवत्तापरक निस्तारण हेतु इस मुख्यालय द्वारा प्रदेश के समस्त कमिश्नरेट/जनपदों के सम्बन्धित राजपत्रित अधिकारियों के साथ प्रत्येक माह गूगलमीट के माध्यम से ऑनलाइन समीक्षा बैठक आयोजित करायी जाती है। जिसमें महिला एवं बाल अपराध सम्बन्धी प्रमुख कानूनों/धाराओं यथा- पॉक्सो ऐक्ट, जे0जे0 ऐक्ट, 304बी भादवि/80बी0एन0एस0, 354 भादवि/74 बी0एन0एस0, 376 भादवि/64बी0एन0एस0, 363/366 भादवि/137/87 बी0एन0एस0, 498ए भादवि/85 बी0एन0एस0, 326ए भादवि/124 बी0एन0एस0, 370 भादवि/ 143 बी0एन0एस0 के पर्यवेक्षण का कार्य इस मुख्यालय द्वारा किया जाता है।



Investigation Tracking System for Sexual Offences (ITSSO) पोर्टल Data


Investigation Tracking System for Sexual Offences(ITSSO) पोर्टल भारत सरकार द्वारा संचालित पोर्टल है। (ITSSO) पोर्टल पर धारा 354 ए,बी,सी,डी भा.द.वि. (73(1),73(2) ,83,74,75 बी.एन.एस.)/धारा 376 भादवि ;64ए 65ए 66ए 67ए 68ए 70ए 71ए74ए75ए76ए77ए78 बी.एन.एस.द्ध एवं पॉक्सो ऐक्ट की धारा 4ए6ए8ए10 के लम्बित अभियोगों की समीक्षा एवं अनुश्रवण का कार्य महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन, उ0प्र0, द्वारा किया जाता है। जिसके अन्तर्गत दिनांक 21-04-2018 से Investigation Tracking System for Sexual Offences(ITSSO) पोर्टल पर पंजीकृत एवं निस्तारण अभियोगों का विवरण निम्नवत है -


अवधि पंजीकृत अभियोगों की संख्या निस्तारित अभियोगों की संख्या
दिनांक 21 / 04 / 2018 से 30 / 11 / 2025 तक 177692 175811

स्तत निगरानी के फलस्वरूप बड़ी संख्या में अपराध पंजीकरण के बावजूद उत्तर प्रदेश केस डिस्पोजल में पूरे देश में प्रथम स्थान पर है।

Disposal Rate- 1st position (98.90%) in INDIA.

Pendency Rate- 1st position (0.20%) in INDIA.

Compliance Rate- 9th position (70.50%) in INDIA.










कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध, प्रतितोष) अधिनियम 2013 (POSH ACT)


कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न के सम्बन्ध में महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन प्रदेश स्तरीय नोडल एजेन्सी है। मुख्यालय स्तर से प्रदेश के समस्त जनपदों में कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध, प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा 4 (प) के अन्तर्गत प्रदेश के समस्त जोन/रेन्ज/कमिश्नरेट/जनपदों/लखनऊ स्थित इकाइयों एवं लखनऊ से बाहर स्थित कार्यालयों मंे आन्तरिक समिति (प्ब्) का गठन कराया गया है। केन्द्रीय स्तर पर भी POSH ACT से सम्बन्धित शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज कराने हेतु SHe-Box पोर्टल संचालित किया गया है। इस मुख्यालय द्वारा प्रदेश के विभिन्न कमिश्नरेट/जनपदों में पॉश ऐक्ट से सम्बन्धित शिकायतांे की कार्यवाही का अनुश्रवण किया जाता है। पॉश ऐक्ट से सम्बन्धित समस्त जोन/रेन्ज/ कमिश्नरेट/जनपदों/लखनऊ स्थित इकाइयों एवं लखनऊ से बाहर स्थित कार्यालयों मंे आन्तरिक समिति (IC) से शिकायतों के निस्तारण के सम्बन्ध में त्रैमासिक सूचना प्राप्त की जाती है। वर्ष 2025 में 01.01.2025 से अब तक 11 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। जिनमें से 05 शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। 04 शिकायतों में अभियोग पंजीकृत किया गया है। 02 शिकायतें निस्तारण हेतु शेष हैं। पॉश ऐक्ट से सम्बन्धित ऑनलाइन एवं ऑफ लाइन, जन-जागरूकता प्रचार-प्रसार/सेमिनार इत्यादि कार्यक्रम भी आयोजित कराये जाते हैं। दिनांक 20.01.2024 को उ0प्र0 के समस्त जनपदीय पुलिस को महिलाओं एवं बच्चों की समस्याओं के समाधान, अपराधों के अनुश्रवण व निस्तारण की दिशा में लैंगिक परिप्रेक्ष्य से संवेदित किये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत पुलिस कर्मियों का प्रशिक्षण एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। दिनांक 09.10.2025 को जीजीविशा फउण्डेशन द्वारा आन्तरिक समिति के जोन/रेन्ज/ कमिश्नरेट/जनपदों/लखनऊ स्थित इकाइयों एवं लखनऊ से बाहर स्थित कार्यालयों के आन्तरिक समिति (IC) के नोडल अधिकारियों एवं समिति के अन्य 02-02 सदस्यो द्वारा ऑनलाइन मोड में प्रतिभाग किया गया।










मानव तस्करी एवं एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाने एवं आप्रवासियों की सुरक्षा


मानव तस्करी के प्रकरणों पर प्रभावी रोकथाम हेतु प्रदेश के समस्त कमिश्नरेट/जनपदों (कमिश्नरेट-07, जनपद-68) में वर्ष 2020 में प्रदेश के सभी कमिश्नरेट/जनपदों में एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की स्थापना करते हुए थाने का दर्जा प्रदान किया गया है तथा प्रत्येक कमिश्नेरट/जनपदों में राजपत्रित स्तर के अधिकारी को नोडल नियुक्त किया गया है जिनके पर्यवेक्षण में उक्त थाना संचालित है। एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की स्थापना का उद्देश्य मानव तस्करी की रोकथाम, पीड़ितों के बचाव और पुनर्वास के लिए कार्य, कानूनी प्रवर्तन को सशक्त बनाना, मानव तस्करी मामलों का अनुश्रवण, डेटा विश्लेषण व संसाधन प्रबंधन में कार्य सहयोग, जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन इत्यादि है। महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन द्वारा प्रदेश के सभी एएचटी थानों को स्वतंत्र थाने के रूप में कार्य करने के लिए एएचटी थानों की कार्यवाही के नियमित पर्यवेक्षण के साथ समय-समय पर क्षमता संवर्धन सम्बन्धी प्रशिक्षण आदि कराया जाता है।
पुलिस महानिरीक्षक, कानून एवं व्यवस्था, उ0प्र0, लखनऊ के पत्र दिनांक 03.10.2025 के माध्यम से समुद्रपारीय रोजगार में संलिप्त अवैध रिक्रूटिंग एजेण्ट्स/एजेंसियों द्वारा नौकरी के नाम पर मनमानी तरीके से विदेश भेजने के नाम पर पैसा वसूलने के प्रकरणों से संबंधित शिकायतों के लिए ट्रैकिंग/निवारण के लिए इस मुख्यालय को प्रदेश की नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
मानव तस्करी एवं समुद्रपारीय रोजगार में संलिप्त अवैध रिक्रूटिंग एजेण्ट्स/एजेंसियों द्वारा गलत तरीके से विदेश भेजने एवं मनमानी पैसा लेने के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही कराये जाने के संबंध में प्रदेशके समस्त कमिश्नरेट/जनपदों में स्थापित ए0एच0टी0 थाने में नियुक्त थाना प्रभारी/कर्मचारियों के क्षमतावर्धन हेतु मुख्यालय द्वारा समय-समय पर मानव तस्करी के प्रकरणों के संबंध में प्रशिक्षण व क्षमतावर्धन कार्यक्रम आयोजित किए जाते है तथा Protector of Emigrants से प्राप्त समस्त शिकायतों पर सम्बन्धित जनपद से समन्वय स्थापित कर उचित विधिक कार्यवाही अवैध एजेण्ट्स के विरूद्ध सुनिश्चित करायी जाती है।








ट्रान्सजेण्डर सुरक्षा प्रकोष्ठ

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 12.02.2022 को निर्गत गाइडलाइन्स के अनुपालन में गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र संख्या-15011/ 191/2020-ैब्ध्ैज्.ॅए दिनांक 27.04.2022 के क्रम में उ0प्र0 शासन, गृह (पुलिस) अनुभाग-15 के शासनादेश दिनांक 14.06.2022 द्वारा ट्रान्सजेण्डर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) ऐक्ट- 2019 और ट्रान्सजेण्डर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) रूल्स 2020 के अन्तर्गत ट्रान्सजेण्डर व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों के मामलों का पंजीकरण, निगरानी तथा जांच सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश स्तर पर राज्य स्तरीय ‘‘ट्रान्सजेण्डर सुरक्षा प्रकोष्ठ’’ एवं प्रत्येक कमिश्नरेट/जनपद में जिला मजिस्ट्रेट के अधीन एक जनपद स्तरीय ‘‘ट्रान्सजेण्डर सुरक्षा प्रकोष्ठ’’ और गठित किया गया है। ट्रान्सजेण्डर से सम्बन्धित प्रकरणों के अनुश्रवण के लिए महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन प्रदेश स्तरीय नोडल एजेन्सी है।









मा0 राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग, राज्य बाल संरक्षण आयोग

महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन मा0 राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग, राज्य बाल संरक्षण आयोग की प्रदेश स्तरीय एजेन्सी है जिसके द्वारा इन मा0 आयोगों से प्राप्त प्रार्थना पत्रांे का अनुश्रवण किया जाता है। इसके अन्तर्गत प्राप्त प्रार्थना पत्रों का सम्बन्धित जनपदों से त्वरित जांच व कार्यवाही कराकर निस्तारण कराना, राज्य स्तर पर महिला सुरक्षा नीतियों का क्रियान्वयन कराना तथा जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से महिलाआंे को उनके अधिकारों की जानकारी कराना तथा एन0सी0डब्लू0 ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायतों की ऑनलाइन निगरानी कराना आदि कार्य सम्मिलित हैं।









लखनऊ सेफ सिटी परियोजना


महिलाओं के लिए महानगरों को और अधिक सुरक्षित बनाने हेतु गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्भया फण्ड से राज्य सरकार के सहयोग से सेफ सिटी परियोजना देश के 08 महानगरों में संचालित की जा रही है। लखनऊ पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुने गए देश के आठ महानगरों यथा- दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, बैंगलूरू, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद, लखनऊ में से एक है। लखनऊ सेफ सिटी परियोजना के अन्तर्गत एकीकृत स्मार्ट कंट्रोल रूम का निर्माण, सीसीटीवी कैमरों का अधिष्ठापन, पिंक बूथ, पिंक पैट्रोल वाहन, पिंक ट्ायलेट, आशा ज्योति केन्द्र का सुदृढ़ीकरण, 1090 का विस्तारीकरण, यूपी-112 एवं 1090 का इन्टीग्रेशन, डार्क स्पॉट लाइटिंग, बसों में पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस का अधिष्ठापन, तथा महिला सुरक्षा सम्बन्धी जन-जागरूकता, प्रचार-प्रसार एवं प्रशिक्षण इत्यादि कार्य सम्मिलित हैं। महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन सेफ सिटी परियोजना के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश स्तरीय नोडल एजेन्सी है।


  • भारत सरकार द्वारा अनुमोदित धनराशि:ः रू0 194.44 करोड़ (केन्द्रांश-60% राज्यांश-40%)

  • परियोजना के क्रियान्वयन पर 25 अप्रैल-2025 तक प्रतिबद्ध व्यय सहित कुल रू0 186.2317448 करोड़ की धनराशि उपयोजित की गयी है।


लखनऊ सेफ सिटी परियोजना के अन्तर्गत् सन्निहित प्रोजक्ट्स का क्रियान्वयन

  • प्रोजेक्ट-पिंक पैट्रोल के अन्तर्गत् 100 पिंक स्कूटी एवं 10 एस.यू.वी. का संचालन।

  • 100 पिंक पुलिस बूथों का संचालन।

  • वीमेन पावर लाइन-1090 सम्बन्धी प्रोजेक्ट के अन्तर्गत्-


    ⇛1090 का यूपी-112 से इण्टीग्रेशन का संचालन।
    ⇛ 1090 काल सेण्टर में 80 नये टर्मिनल्स का संचालन।
    ⇛ फारेन्सिक साइबर सुविधा का संचालन।
    ⇛ महिला सुरक्षा से सम्बन्धित किये गये उपायों का प्रचार-प्रसार।
    ⇛ महिला सुरक्षा से सम्बन्धित विषयों पर विशेष कार्यशालाएं/प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कराते हुए कुल 80,271 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान कराया गया है, जिनमें पुलिसजनों, स्टूडेन्ट्स, कालेज के टीचर्स व सपोर्ट स्टाफ, स्कूल और कालेजों में वालंटियर्स के तौर पर कार्य करने वाले पावर एन्जेल्स, सरकारी संस्थानों (एल0डी0ए0, नगर निगम, ट्रान्सपोर्ट, स्वास्थ विभाग आदि) के कार्मिकों तथा माल्स/मार्केट में नियुक्त सिक्योरिटी गार्डस इत्यादि सम्मिलित हैं।
    ⇛ 1090 मुख्यालय के प्रथम तल पर नये भवन का निर्माण।

  • पिंक टायलेट तथा लाईटिंग सम्बन्धी प्रोजेक्ट्स के अन्तर्गत्-


    ⇛ पिंक टायलेट तथा लाईटिंग सम्बन्धी प्रोजेक्ट्स के अन्तर्गत्-
    ⇛ लाईटिंग आफ डार्क स्पाट्स सम्बन्धी प्रोजेक्ट के अन्तर्गत् अधिष्ठापित 2069 पोल्स/मास्ट एवं 3625 एल.ई.डी. लाइट्स/रिफलेक्टर का संचालन।

  • आशा ज्योति केन्द्र सम्बन्धी प्रोजेक्ट के अन्तर्गत्-


    ⇛ 05 रेस्क्यू वैन व 01 एडमिनिस्ट्रेटिव वाहन का संचालन।
    ⇛ आशा ज्योति केन्द्र के नये भवन का निर्माण व संचालन।

  • इण्टीग्रेटेड स्मार्ट कण्ट्रोलरूम तथा सेफ्टी मेजर्स इन सिटी बसेज सम्बन्धी प्रोजेक्ट्स के अन्तर्गत्-


    ⇛ कण्ट्रोलरूम हेतु भवन तथा कनेक्टिंग कारीडोर का निर्माण कार्य।
    ⇛ कण्ट्रोलरूम में वीडियो वाल, 40 वर्क स्टेशन, यूपीएस, सर्वर, स्टोरेज सिस्टम इत्यादि का अधिष्ठापन।
    ⇛ नगर में 1000 सीसीटीवी कैमरों (200 पी0टी0जेड0 तथा 800 फिक्सड) का अधिष्ठापन एवं कण्ट्रोलरूम से इण्टीग्रेशन। एन.एच.ए.आई. के 61 सीसीटीवी कैमरे भी कण्ट्रोलरूम से इण्टीग्रेट किये गये हैं।
    ⇛ कुल 165 में से 149 सिटी बसों में सुरक्षा उपकरणों (पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस) का अधिष्ठापन एवं कण्ट्रोलरूम से इण्टीग्रेशन।
    ⇛ लखनऊ पुलिस हेतु 05 ड्रोन की व्यवस्था।
    ⇛ पिंक बूथों/पिंक पैट्रोल के वाहनों/रेस्क्यू वैन्स/सेफ सिटी प्रोजेक्ट के अन्तर्गत् क्रय वाहनों हेतु कण्ट्रोलरूम से वायस संचार के लिए रेडियो सेट तथा डाटा कनेक्टिविटी हेतु एम0डी0टी0 की व्यवस्था।
    ⇛ इण्टीग्रेटेड स्मार्ट कण्ट्रोलरूम का यूपी-112 से इण्टीग्रेशन।

  • माह नवम्बर-2023 तथा जुलाई-2024 में केन्द्रीय गृह सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की गयी समीक्षा बैठक में सेफ सिटी परियोजनाओं के क्रियान्वयन में लखनऊ सेफ सिटी परियोजना देश में प्रथम स्थान पर पाया गया है।


यू0पी0 सेफ सिटी परियोजना

o मा0 मुख्यमंत्री जी ने 11 जुलाई 2023 को लखनऊ सेफ सिटी परियोजना के सार्थक परिणामों के दृष्टिगत् प्रदेश के 17 नगर निगमों और जनपद गौतमबुद्धनगर में सेफ सिटी परियोजना को विस्तारित किये जाने के निर्देश दिये हैं। इस परियोजना को उ0प्र0 शासन के कुल 16 विभागों द्वारा समेकित रूप से क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसकी नोडल अधिकारी अपर पुलिस महानिदेशक, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन हैं।


क्र० जनपद क्र० जनपद क्र० जनपद
1 लखनऊ 7 अलीगढ 13 गोरखपुर
2 कानपुर 8 मुरादाबाद 14 मेरठ
3 आगरा 9 झाँसी 15 गाज़ियाबाद
4 प्रयागराज 10 सहारनपुर 16 शाहजहांपुर
5 वाराणसी 11 फिरोजाबाद 17 मथुरा
6 बरेली 12 अयोध्या 18 गौतमबुद्धनगर

o सम्बन्धित 16 विभागः नगर विकास विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, समाज कल्याण विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, न्याय विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, परिवहन विभाग, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लोक निर्माण विभाग, आवास विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, प्राविधिक शिक्षा विभाग, औद्योगिक विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा गृह विभाग (कानून एवं व्यवस्था, यूपी-112, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन)।


इस परियोजना के अन्तर्गत् किये जा रहे महत्वपूर्ण कार्य

अ) महिलाओं/बालिकाओं, बच्चों, बुजुर्गों एवं दिव्यांगजनों हेतु
1 पुलिस/पब्लिक सी0सी0टी0वी0 का डाटा संग्रहण एवं उसका आई0सी0सी0सी0 के साथ इन्टीग्रेशन
2 प्रकाश (अॅंधेरे स्थानों की पहचान एवं स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था)
3 सिटी बसों, ओला एवं ऊबर आदि में सीसीटीवी एवं पैनिक बटन की व्यवस्था
4 पिंक टायलेट्स का निर्माण
5 सेफ सिटी पोर्टल के साथ विभिन्न विभागों को जोड़ा जाना व सेफ सिटी ‘‘ऐप’’ की व्यवस्था
6 आमजन में जागरूकता हेतु सोशल मीडियॉ पर सेफ सिटी यूपी पेज का निर्माण
7 संवेदनशील स्थानों/हॉट-स्पाट की पहचान करते हुए पैंट्रोलिंग तथा हॉट-स्पॉट पर सी0सी0टी0वी0 कैमरों का अधिष्ठापन
8 प्राइवेट सिक्यूरिटी एजेन्सी के गार्डस का प्रशिक्षण
9 माह में एक बार उपमण्डलीय स्तर पर महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गो एवं दिव्यांगजन के लिए विशेष दिवस का आयोजन
10 महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गो एवं दिव्यांगजन के लिए बैधानिक मदद एवं वैधानिक शिक्षा हेतु कार्यक्रम
11 एफ0एम0 जिंगल्स, कम्यूनिटी रेडियो आदि माध्यम से जागरूकता फैलाना
12 महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गो एवं दिव्यांगजन की सहायता करने वाले ळववक ैंउंतपजंद हेतु योजना
ब) केवल महिलाओं के लिए
1 मिशन शक्तिः कम्यूनिटी पुलिसिंग एवं महिला सशक्तीकरण हेतु शक्ति दीदी के माध्यम से आउटरीच प्रोग्राम चलाया जाना
2 1090 के बारे मे जागरूकता फैलाना
3 प्रत्येक कार्पोरेट/प्राइवेट एवं सरकारी विभागों की वेव साइट पर च्व्ैभ् कमेटी का उल्लेख
स) केवल बच्चों के लिए
1 स्कूल एवं कालेज के स्टूडेन्ट हेतु काउन्सलिंग सिस्टम को प्रोफेशनल्स की सहायता से बेहतर किया जाना, आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण, स्काउट एवं गाईड की सहायता लिया जाना, सामाजिक विज्ञान के छात्रों हेतु प्रोजेक्ट
द) केवल बुर्जुगों के लिए
1 बीट आरक्षियों द्वारा बुजुर्गों से मिलना एवं मदद करना
2 वरिष्ठों के लिए डे-केयर सेन्टर
य) केवल दिव्यांगजन के लिए
1 ब्रेल लिपी में जनसूचना, दिव्यांगजन हेतु जेब्रा क्रासिंग आदि पर साइनेज, दिव्यांगजनों के निर्बाध आवागमन हेतु जनसस्थानों में रैम्प का व्यवस्थापन
र) अन्य
1 कोचिंग संस्थानों/स्कूल/कालेज/मदरसों/प्राविधिक शैक्षणिक संस्थानों/बहुमंजलीय आवासीय परिसरों में सीसीटीवी कैमरों का अधिष्ठापन, सेफ सिटी होर्डिंग्स, स्लोगन्स बनाया जाना, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गो एवं दिव्यांगजनों के विरूद्ध होने वाले अपराधों की समीक्षा







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1 Mrs. Padmaja Chauhan Additional Director General Of Police
2 Mr. Shubash Chandra Dubey Inspector General Of Police
3 Mrs. Vrinda Shukla Senior Superitendent of Police , WCSO
4 Mr. Vijay Tripathi ADDL.SP ,WCSO
5 Mrs. Rukmani Verma ADDL.SP ,WCSO
6 Mr. Hitnedra Krishna DSP
7 Mr. Vinod Kumar Yadav DSP
8 Mrs. Akansha Awasthi DSP
9 Miss. Priyanka Yadav DSP


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